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ज्येष्ठाङ्गबाहुहृत्कण्ठकटिपादनिवासिनीम् ॥७॥
साहित्याम्भोजभृङ्गी कविकुलविनुता सात्त्विकीं वाग्विभूतिं
Every struggle that Tripura Sundari fought is often a testament to her may possibly and the protective mother nature of the divine feminine. Her legends continue on to encourage devotion and are integral to the cultural and spiritual tapestry of Hinduism.
Charitable functions for example donating foodstuff and clothing on the needy can also be integral on the worship of Goddess Lalita, reflecting the compassionate facet of the divine.
Her type is alleged to get by far the most lovely in all the 3 worlds, a elegance that isn't just physical and also embodies the spiritual radiance of supreme consciousness. She is often depicted being a resplendent sixteen-12 months-aged Woman, symbolizing Everlasting youth and vigor.
ह्रींमन्त्राराध्यदेवीं श्रुतिशतशिखरैर्मृग्यमाणां मृगाक्षीम् ।
कैलाश पर्वत पर नाना रत्नों से शोभित कल्पवृक्ष के नीचे पुष्पों से शोभित, मुनि, गन्धर्व इत्यादि से सेवित, मणियों से मण्डित के मध्य सुखासन में बैठे जगदगुरु भगवान शिव जो चन्द्रमा के अर्ध भाग को शेखर के रूप में धारण किये, हाथ में त्रिशूल और डमरू लिये वृषभ वाहन, जटाधारी, कण्ठ में वासुकी नाथ को लपेटे हुए, शरीर में विभूति लगाये more info हुए देव नीलकण्ठ त्रिलोचन गजचर्म पहने हुए, शुद्ध स्फटिक के समान, हजारों सूर्यों के समान, गिरजा के अर्द्धांग भूषण, संसार के कारण विश्वरूपी शिव को अपने पूर्ण भक्ति भाव से साष्टांग प्रणाम करते हुए उनके पुत्र मयूर वाहन कार्तिकेय ने पूछा —
बिंदु त्रिकोणव सुकोण दशारयुग्म् मन्वस्त्रनागदल संयुत षोडशारम्।
रविताक्ष्येन्दुकन्दर्पैः शङ्करानलविष्णुभिः ॥३॥
हन्तुं दानव-सङ्घमाहव भुवि स्वेच्छा समाकल्पितैः
॥ अथ श्रीत्रिपुरसुन्दरी अपराध क्षमापण स्तोत्रं ॥
The reverence for Tripura Sundari transcends mere adoration, embodying the collective aspirations for spiritual expansion along with the attainment of worldly pleasures and comforts.
॥ ॐ क ए ई ल ह्रीं ह स क ह ल ह्रीं स क ल ह्रीं श्रीं ॥
मन्त्रिण्या मेचकाङ्ग्या कुचभरनतया कोलमुख्या च सार्धं